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वैज्ञानिकों ने खोज निकाले पृथ्‍वी जैसे दो ग्रह, क्‍या मुमकिन होगी एक और दुनिया?

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पृथ्‍वी से बाहर जीवन की खोज और पृथ्‍वी जैसे ग्रहों की तलाश में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में नई कामयाबी हाथ लगी है। पृथ्‍वी जैसे दो ग्रहों वाला एक सौर मंडल हमसे काफी करीब लगभग 33 प्रकाश वर्ष दूर खोज लिया गया है। वैसे यह खोज पिछले साल अक्‍टूबर में ही हो गई थी, लेकिन साइंटिस्‍ट इसे पुख्‍ता कर रहे थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) ने इसे देखा था। आखिरकार 16 जून को कैलिफोर्निया में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में इसकी घोषणा की गई। इस खोज के बाद अहम सवाल यह उठता है कि क्‍या इन ग्रहों में जीवन संभव है? क्‍या पृथ्‍वी की तरह एक और दुनिया आने वाले वक्‍त में मुमकिन हो सकती है?  रिपोर्ट के अनुसार, इस सवाल का जवाब फ‍िलहाल तो ‘नहीं' में उत्‍तर देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे पड़ोसी सौर मंडल में पृथ्वी के आकार वाले कम से कम दो चट्टानी ग्रह भले मौजूद हों, लेकिन इनमें से किसी के भी जीवन की मेजबानी करने की संभावना नहीं है।  इन दो ग्रहों में से एक का नाम HD 260655b बताया गया है। यह पृथ्वी से लगभग 1.2 गुना बड़ा

NASA के यान ने मंगल ग्रह पर देखी चमकदार वस्तु, वैज्ञानिकों ने बताई सच्चाई

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NASA के पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह (Mars Planet) पर चमकते धातु जैसी दिखने वाली एक वस्तु की फोटो कैप्चर की है, जिसने साइंटिस्ट व रिसर्चर्स को हैरान कर दिया है। कैप्चर की गई तस्वीर को NASA ने सार्वजनिक रूप से शेयर भी किया, जिसमें चट्टानों के बीच में एक पत्थर जैसा ऑब्जेक्ट है, जो चमक रहा है। हालांकि, जब वैज्ञानिकों ने तस्वीर को बारीकी से जांचा, तो पाया कि ये पर्सीवरेंस रोवर द्वारा फैलाया हुआ कचरा था।  बीते बुधवार को, NASA के Perseverance Mars Rover ट्विटर हैंडल से ट्वीट की एक सीरीज पोस्ट की गई, जिसमें पर्सीवरेंस रोवर द्वारा मंगल ग्रह पर एक चमकने वाली वस्तु की फोटो को शेयर किया गया। इस तस्वीर में मंगल ग्रह पर चट्टानों के बीच एक वस्तु दिखाई दे रही है, जो सिल्वर रंग की चमक फेंक रही है। फोटो के साथ ही पोस्ट में कुछ जानकारियां भी दी गई है।   My team has spotted something unexpected: It's a piece of a thermal blanket that they think may have come from my descent stage, the rocket-powered jet pack that set me down on landing day back in 2021. pic.twitter.com/O4rIaE

इंसान की आंख जैसी यह क्‍या चीज है मंगल ग्रह पर? स्‍पेस एजेंसी ने समझाया

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मंगल ग्रह पर दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंस‍ियों ने अपने मिशन भेजे हैं। इन्‍हीं में से एक मिशन के तहत यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के मार्स एक्सप्रेस मिशन ने लाल ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध में गड्ढे की आकृति वाले क्षेत्र, एओनिया टेरा (Aonia Terra) में एक इमेज को कैप्‍चर किया है। पहली नजर में देखने पर ऐसा लगता है कि ग्रह पर एक विशालकाय आंख मौजूद है, जो हमेशा खुली रहती है। हालांकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। तस्‍वीर भले ही आंखनुमा कोई स्‍ट्रक्‍चर हो, पर यह इस ग्रह की जियोलॉजी को बेहतर तरीके से दिखा सकती है। माना जाता है कि लगभग 4 अरब साल पहले इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ऐसे गड्ढे उभर आए थे और यह सब हमारे सोलर सिस्‍टम के शुरुआती समय में हुई उथल-पुथल का नतीजा था।  कुछ दिन पहले ESA ने एक बयान जारी किया था। उससे ऐसा लग रहा था कि एजेंसी कोई साइंस फिक्शन हॉरर फिल्म लिखने की योजना बना रही है। उसके स्‍टेटमेंट का टाइटल था- ‘मार्स स्लीप्स विद वन आई ओपन'। अपने स्‍टेटमेंट में ईएसए ने बताया है कि यह इमेज और ऐसे गड्ढे आज से 3.5 से 4 अरब साल पहले लिक्विड वॉटर के लिए किसी तरह की सप्‍लाई में मदद करते

खास है जून का महीना, 18 साल बाद आसमान में बिना दूरबीन के देख सकते हैं यह 5 ग्रह

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अंतरिक्ष में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों के लिए यह महीना बेहद खास है। इस महीने लोगों को 5 ग्रह दिखाई देंगे। खास बात यह है कि इन्‍हें बिना दूरबीन के सिर्फ आंखों से ही देखा जा सकेगा। ये पांच ग्रह हैं बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि। यह बेहद शानदार नजारा ईस्‍टर्न होरिजन की ओर सूर्य के उगने से ठीक पहले दिखाई देगा। इस खास नजारे को देखने के लिए उत्तरी गोलार्ध में रहने वालों को पूर्व और दक्षिण की ओर देखना होगा, जबकि दक्षिणी गोलार्ध के लोगों को पूर्व और उत्तर की ओर देखना चाहिए। दो या तीन ग्रहों को एक साथ कंजक्‍शन में देखना एक सामान्य घटना है। लेकिन 5 ग्रहों का कंजक्‍शन अपने आप में बेहद खास नजारा होगा। आखिरी बार पांच ग्रहों को बिना दूरबीन की मदद के दिसंबर 2004 में देखा गया है। इस बार इस क्रम में बुध और शनि को एक-दूसरे के बहुत करीब देखा जा सकेगा।  स्काई एंड टेलिस्कोप के अनुसार, यह नजारा इस पूरे महीने दिखाई देना चाहिए, लेकिन कुछ तारीखें बेहद खास हैं।  3-4 जून : इन दो तारीखों की सुबह में बुध और शनि ग्रह के बीच का अंतर सबसे कम होगा। सिर्फ 91 डिग्री के फासले पर यह ग्रह दिखाई देंगे। अगर आप इस नज

NASA के हेलीकॉप्टर ने मंगल ग्रह पर 25वीं उड़ान भर तोडा रिकॉर्ड, देखें वीडियो

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NASA का Ingenuity हेलीकॉप्टर मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन के निशान ढूंढने का काम कर रहा है और अब इसने कमजोर वातावरण में 25 उड़ानें भरने का रिकॉर्ड बनाया है। इंजीनियरों ने इस छोटे हेलीकॉप्टर को अपने साथी पर्सवेरेंस रोवर के साथ वन-वे ट्रिप पर भेजा जब पहली बार भेजा था, तो केवल पांच उड़ानों की प्लानिंग की थी, लेकिन Ingenuity ने अपनी 25वीं उड़ान भरके नया कीर्तिमान हासिल किया है। 8 अप्रैल को जब फ्लाइट ने उड़ान भरी, तो हेलीकॉप्टर ने पहले से कहीं ज्यादा तेज उड़ान भरी। इसने दूरी और स्पीड दोनों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। हेलीकॉप्टर 704 मीटर ऊंचा और 5.5 मीटर प्रति सेकंड की स्पीड से उड़ा। Ingenuity के ब्लैक-एंड-व्हाइट नेविगेशन कैमरे ने उड़ान के दौरान कुछ लुभावनी तस्वीरें भी कैप्चर की। नासा के इंजीनियरों ने उन्हें एक वीडियो में एक साथ जोड़ दिया है, जिसमें मंगल ग्रह के आसपास का दृश्य दिखाया गया है। Ingenuity ने 25वीं उड़ान के बाद से कुछ और उड़ानें भरी हैं। नासा ने कहा कि यह फिलहाल अपनी 29वीं उड़ान की तैयारी कर रहा है। Ingenuity टीम के प्रमुख Teddy Tzanetos ने कहा कि हेलीकॉप्टर के नेविगेशन कैमरे ने उन्हें

अंतरिक्ष में तैनात सबसे बड़ी दूरबीन खोलेगी पृथ्‍वी जैसे दो ग्रहों का राज!

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अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा (Nasa) ने पिछले साल दिसंबर में अंतरिक्ष में अबतक के सबसे बड़े टेलीस्‍कोप जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) को लॉन्‍च किया था। यह टेलीस्‍कोप वहां खुद को सेटअप करने की प्रक्रिया पूरी करने वाला है और जल्‍द अपना काम शुरू कर सकता है। खबरों की मानें, तो इस टेलीस्‍कोप ने एक नई चट्टानी दुनिया का पता लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। बताया जाता है कि यह टेलीस्‍कोप 50 प्रकाश वर्ष दूर दो छोटे ग्रहों पर स्‍टडी करेगा।  space.com ने लिखा है कि मौजूदा टेलीस्‍कोप टेक्‍नॉलजी में गैसीय आवरण वाले ग्रहों के मुकाबले चट्टानी ग्रहों को देखना ज्‍यादा कठिन है। लेकिन जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप में लगे पावरफुल मिरर और डीप स्‍पेस लोकेशन की वजह से पृथ्‍वी से थोड़े बड़े दो ग्रहों को टटोलने का काम जल्‍द शुरू हो सकता है। खास बात यह है कि इन ग्रहों को ‘सुपर अर्थ' के रूप में जाना जाता है।    इन ग्रहों को भले ही सुपर अर्थ के तौर पर पहचाना  जाता है, लेकिन यहां जीवन मुमकिन नहीं है। इनमें से एक ग्रह तो बेहद गर्म लावा से ढका हुआ है, जिसका नाम 55 कैनरी ई है। वहीं दूसरे ग्रह का

मंगल ग्रह से Nasa के इनसाइट लैंडर ने भेजी अपनी ‘आखिरी सेल्‍फी’, जानें क्‍या होगा मिशन का

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने साल 2018 में मंगल ग्रह के लिए इनसाइट (Insight) लैंडर को लॉन्‍च किया था। बीते दिनों हमने आपको बताया था कि नासा के इस मंगल मिशन को झटका लगा है। उसका इनसाइट लैंडर बर्बाद होने की ओर है। यह लैंडर खुद पर जमा हुई धूल की वजह से अपनी बिजली खो रहा है और संभवत: जुलाई के बाद सर्विस नहीं दे सकेगा। बहरहाल, इनसाइट लैंडर ने अपनी लेटेस्‍ट  सेल्फी ली है, जिसमें वह धूल की मोटी परत से ढका हुआ दिखाई देता है। माना जा रहा है कि यह इनसाइट लैंडर की आखिरी सेल्‍फी होगी।  23 मई को रिलीज की गई इस इमेज में इनसाइट लैंडर को धूल से ढका हुआ देखा जा सकता है। बीते दिनों ने नासा ने बताया था कि सौर ऊर्जा से चलने वाला इनसाइट लैंडर अब बहुत कम बिजली बना पा रहा है। शुरू में लैंडर में एक घंटे 40 मिनट के लिए इलेक्ट्रिक ओवन को बिजली देता था। अब यह वक्‍त घटकर 10 मिनट रह गया है।    साल 2018 में मंगल ग्रह पर उतरने के बाद से इनसाइट लैंडर ने वहां 1,300 से अधिक भूकंपों को रिकॉर्ड किया है। हाल ही में इसने मंगल ग्रह पर आए अब तक के सबसे बड़े भूकंप को रिकॉर्ड किया था, जिसकी तीव्रता 5 मापी गई थी। य

कभी देखा है सूर्य को इतने करीब से? बुध ग्रह की कक्षा में जाकर 500 डिग्री तापमान में खींची गईं तस्‍वीरें

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यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने साल 2020 में अपना सोलर ऑर्बिटर अंतरिक्ष में भेजा था। हाल ही में इसने सूर्य के रिकॉर्ड करीब पहुंचकर हैरान करने वाली तस्‍वीरें खींची हैं। रिपोर्टों के अनुसार, 26 मार्च को ESA का सोलर ऑर्बिटर सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह बुध (Mercury) की कक्षा में पहुंचा। इस तरह की पहुंच को पेरिहेलियन (perihelion) के रूप में जाना जाता है, जिसमें कोई ग्रह सूर्य के सबसे करीब होता है। हालांकि अंतरिक्ष यान को पेरिहेलियन तक पहुंचने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इनमें सबसे बड़ी चुनौती भीषण गर्मी की थी। सोलर ऑर्बिटर जब सूर्य के रिकॉर्ड करीब पहुंचा तो उसे 500 डिग्री सेल्सियस तक तापमान का सामना करना पड़ा। इस दौरान हीट शील्ड ने उसे बचाकर रखा।  उम्मीद है कि फ्यूचर में सोलर ऑर्बिटर सूर्य के और करीब जाएगा और उसे ज्‍यादा तापमान का सामना करना पड़ेगा। इस कोशिश का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हमें सूर्य का वह रूप देखने को मिला है, जो आज से पहले कभी नहीं देखा गया। सूर्य के रिकॉर्ड करीब पहुंचकर ESA के ऑर्बिटर ने पावरफुल फ्लेयर्स, सौर ध्रुवों के शानदार दृश्य और एक रहस्यमयी सौर 'हे

मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा भूकंप खोजने वाला Nasa का इनसाइट लैंडर जल्‍द हो सकता है खत्‍म

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के मंगल मिशन को झटका लगा है। उसका एक स्‍पेसक्राफ्ट बर्बाद होने की ओर है। नासा के इनसाइट (Insight) लैंडर पर जमा हुई धूल की वजह से लैंडर अपनी बिजली खो रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि वह इस स्‍पेसक्राफ्ट के भूकंपमापी का इस्तेमाल तब तक करती रहेगा, जब तक कि जुलाई में इसकी बिजली खत्म नहीं हो जाती। नासा ने बताया है कि फ्लाइट कंट्रोलर सब कुछ बंद करने से पहले इस साल के आखिर तक इनसाइट को मॉनिटर करेंगे।  साल 2018 में मंगल ग्रह पर उतरने के बाद से इनसाइट ने 1,300 से ज्‍यादा भूकंपों का वहां पता लगाया है। हाल ही में इसने मंगल ग्रह पर आए अब तक के सबसे बड़े भूकंप को रिकॉर्ड किया था, जिसकी तीव्रता 5 मापी गई थी। यह नासा का दूसरा मंगल ग्रह लैंडर होगा, जो धूल में खो गया है और जल्‍द बर्बाद हो सकता है।  हालांकि मंगल ग्रह की सतह पर नासा के दो और स्‍पेसक्राफ्ट अभी काम कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं- रोवर्स क्यूरियोसिटी और पर्सिवरेंस। इनसाइट को लेकर इस मिशन की डेप्‍युटी प्रोजेक्‍ट मैनेजर कात्या जमोरा गार्सिया ने कहा है कि शुरू में लैंडर में एक घंटे 40 मिनट के लि

2 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर थे महासागर! वैज्ञानिकों ने ऐसे लगाया अनुमान

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पृथ्‍वी से बाहर जीवन की संभावना की बात आती है, तो इसका सबसे बड़ा दावेदार नजर आता है मंगल (Mars) ग्रह। वर्षों से वैज्ञानिक यह जानने में जुटे हैं कि क्‍या कभी मंगल ग्रह पर जीवन था। क्‍या भविष्‍य में ऐसी कोई उम्‍मीद है? तमाम अध्‍ययन संकेत तो देते हैं, लेकिन अभी बहुत शोध बाकी है। अब पेरिस यूनिवर्सिटी की एक स्‍टडी में पता चला है कि 2 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर तरल महासागर हो सकते थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि तरल महासागर संभव हो सकता है अगर तापमान जमाव बिंदु यानी 4.5 डिग्री सेल्सियस से ज्‍यादा होता है। मंगल ग्रह पर ऐसी स्थितियां आज से करीब 3 अरब साल पहले मुमकिन थीं।  हालांकि साल 2016 के एक रिव्‍यू कहा गया था कि लो सोलर रेडिएशन के कारण मंगल ग्रह की प्राचीन जलवायु बेहद ठंडी थी और एक महासागर को बरकरार नहीं रख सकती थी। वहीं, साल 2021 के एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि ग्रह का अपना वॉर्मिंग मैकेनिज्‍म है, जो झीलों और नदियों को पनपने दे सकता है।  मौजूदा अध्ययन में रिसर्चर्स ने पृथ्वी के जलवायु मॉडल पर बेस्‍ड त्रि-आयामी मॉडल का इस्‍तेमाल करके मंगल की प्राचीन जलवायु को दोबारा से तैयार किया। इस

मंगल ग्रह पर आया अबतक का सबसे शक्तिशाली भूकंप, Nasa के लैंडर ने किया रिकॉर्ड

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पृथ्‍वी पर हम अक्‍सर भूकंप महसूस करते हैं, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि मंगल ग्रह पर भी भूकंप आते हैं। नासा के इनसाइट लैंडर ने मंगल ग्रह पर एक जोरदार भूकंप का पता लगाया है, जिसने इस ग्रह को हिलाकर रख दिया। 4 मई को मंगल ग्रह पर 5 तीव्रता का भूकंप आया। पृथ्‍वी के इस तरह के भूकंप मिड कैटिगरी में आते हैं, लेकिन मंगल ग्रह के लिए यह बेहद तीव्र था। पृथ्‍वी के अलावा किसी भी ग्रह पर यह अबतक पता लगाया गया सबसे तेज भूकंप बताया जा रहा है।  space.com की रिपोर्ट के अनुसार, इस भूकंप ने मंगल ग्रह पर आए पिछले भूकंप के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। अगस्‍त 2021 में यहां 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था। नासा इनसाइट की टीम और उसके पार्टनर्स को मंगल ग्रह से शुरुआती डेटा मिला है, जिसके आधार पर यह कहा जा रहा है कि पृथ्‍वी को छोड़कर यह किसी ग्रह पर अबतक की सबसे बड़ी भूकंपीय गतिविधि है! नासा के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर फॉर साइंस थॉमस जुर्बुचेन ने ट्विटर पर कहा कि शुरुआती अनुमान में यह तीव्रता 5 थी। हालांकि उन्‍होंने धैर्य रखने की बात कही, क्‍योंकि टीमें अभी आंकड़ों का विश्‍लेषण कर रही हैं।  वैज्ञानिकों का कहना है कि 5 ती

यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने मंगल ग्रह की सतह पर देखी दिलचस्प आकृतियां, तस्वीर में देखें...

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यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर से लेटेस्ट रिलीज में मंगल ग्रह के भूविज्ञान को लेकर बेहद दिलचस्प जानकारियों का खुलासा किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि लाल ग्रह की सतह पर भारी खरोंचें हैं। हालांकि, ये निशान टैंटलस फॉसे का हिस्सा हैं, जो मंगल पर एक विशाल फॉल्ट सिस्टम है। तस्वीर की डिटेल्स के अलावा, यहां जो ध्यान देने वाली एक और जरूरी विशेषता है, वो है इसका साइज। ये कुंड 350 मीटर (1,148 फीट) तक गहरे, 10 किलोमीटर चौड़े है और यह चौड़ाई 1,000 किलोमीटर तक लंबी हो सकती हैं। तस्वीर 'ट्रू कलर' है, जिसका मतलब है कि यदि मनुष्य इस जगह को अपनी आंखों से देखेंगे, तो उन्हें यह क्षेत्र समान रंग का दिखाई देगा। मंगल ग्रह पर कई रहस्य हैं और लाल ग्रह की सतह पर काम करते रहने वाले रोबोट हर दिन नई जानकारी का खुलासा कर रहे हैं। एक ESA प्रेस रिलीज में कहा गया है, "पहली नज़र में ये फीचर्स ऐसे दिखते हैं जैसे किसी ने लाल ग्रह की सतह पर अपने नाखूनों को उकेरा है, जैसे उन्होंने ऐसा किया है।" प्रेस रिलीज में कहा गया है कि टैंटलस फॉसे मंगल पर एक प्रमुख विशेषता है। यह निशान मंगल

पृथ्‍वी पर क्‍यों मौजूद है पानी और क्‍यों सूखा शुक्र ग्रह, जवाब तलाशेगा Nasa का नया मिशन

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हमारे सौरमंडल में पृथ्‍वी इकलौता ग्रह है, जहां जीवन है। बीते कई वर्षों से वैज्ञानिक पृथ्‍वी के अलावा दूसरे ग्रहों पर जीवन के संकेत तलाश रहे हैं और उन्‍हें इसके सबसे करीब दिखाई देते हैं मंगल और शुक्र ग्रह। शुक्र ग्रह के बारे में एक और दिलचस्‍प बात है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शुक्र ग्रह एक समय में गीला हुआ करता था, लेकिन किन्‍हीं वजहों से वह सूख गया। क्‍या भविष्‍य में पृथ्‍वी के साथ भी ऐसा ही हो सकता है? यह जानने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) 9 मई को एन्डुरन्स (Endurance) नाम से एक नया मिशन शुरू करने जा रही है।  आखिर इस मिशन की जरूरत क्‍यों पड़ी। नासा के अनुसार, हमारे ग्रह यानी पृथ्वी में एक ग्‍लोबल इलेक्ट्रिक क्षमता है। यह एक अहम कॉम्‍पोनेंट है, क्‍योंकि यह हमारे ग्रह को रहने लायक बनाती है। नासा इसी की खोज मंगल या शुक्र ग्रह पर करना चाहती है। वह जानना चहती है कि उन ग्रहों पर जीवन क्‍यों संभव नहीं है। ऐसा क्‍या है कि जीवन सिर्फ पृथ्‍वी पर ही संभव है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के ग्लिन कोलिन्सन ने कहा कि सभी विज्ञानों में सबसे मौलिक सवाल यही

2024 में इसरो (ISRO) शुक्र ग्रह के लिए मिशन लांच करेगा

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First Published: May 7, 2022 | Last Updated:May 7, 2022 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दिसंबर 2024 में शुक्र के लिए एक अंतरिक्ष यान लॉन्च करने  की योजना बना रहा है। इसरो के शुक्र मिशन के उद्देश्य क्या हैं? शुक्र की सतह के नीचे क्या है इसका अध्ययन करना। शुक्र के वातावरण का अध्ययन करना। इसरो द्वारा शुक्र मिशन के तहत किन प्रयोगों की योजना बनाई गई है? सक्रिय ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट और लावा प्रवाह सहित सतह प्रक्रियाओं और उथले उप-सतह स्ट्रैटिग्राफी की जांच। वायुमंडल की संरचना और गतिकी का अध्ययन करना। दिसंबर 2024 शुक्र के लिए अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने के लिए उपयुक्त क्यों है? यदि अंतरिक्ष यान को दिसंबर 2024 में लॉन्च किया जाता है, तो 2025 में अन्तरिक्ष यान की दिशा बदलने की योजना बनाई जा सकती है। 2025 में, पृथ्वी और शुक्र को इस तरह से संरेखित किया जाएगा कि अंतरिक्ष यान को शुक्र की कक्षा में प्रवेश करने के लिए न्यूनतम मात्रा में प्रणोदक (propellant) की आवश्यकता होगी। शुक्र की सतह का अध्ययन करने के लिए किस यंत्र का उपयोग किया जाएगा? इसके लिए हाई रेजो

NASA से एक कदम आगे निकलेगा ISRO, शुक्र ग्रह पर भेजेगा शुक्रयान

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ISRO जल्द एक नया मील का पत्थर स्थापित करने की तैयारी कर चुका है। चांद और मंगल ग्रह पर अपने मिशन की सफलता के बाद, अब अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन शुक्र ग्रह (Venus) पर अपना शुक्रयान भेजने की तैयारी कर रहा है। यह यान शुक्र ग्रह के बारे में सभी जरूरी जानकारियां इकट्ठा करेगा, जैसे उसकी सतह के नीचे क्या है? या सबसे गर्म ग्रह पर जीवन की संभावना कितनी है?  India Today की रिपोर्ट में बताया गया है कि ISRO चेयरमैन एस. सोमनाथ ने शुक्र ग्रह पर हुई एक मीटिंग के बाद बताया कि इसरो के वैज्ञानिकों ने शुक्र ग्रह के मिशन की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली है। इस मिशन की लागत का अनुमान भी लगा लिया गया है। इसके अलावा, यह भी पुष्टि कर दी गई है कि भारत सरकार भी इस प्रोजेक्ट को लेकर सहमत हैं। सोमनाथ का कहना है कि सही उपकरणों के साथ सैटेलाइट को बनाने का काम अभी बाकी है, जिसके बाद मिशन को लॉन्च कर दिया जाएगा। उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारत के लिए शुक्र ग्रह पर मिशन भेजना आसान काम है। इसरो का कहना है कि यदि इस मिशन को 2024 में लॉन्च नहीं कर पाए, तो अगला मौका 2031 में मिलेगा। ऐसा इसलिए,  क्योंकि दोनों ग्र

नई तकनीक पर काम कर रहे साइंटिस्‍ट, 100 प्रकाश वर्ष दूर स्थित ‘ग्रह’ भी साफ दिखाई देगा

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ऐसे ग्रह जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं। पहले एक्सोप्लैनेट की खोज साल 1992 में हुई थी। तब से खगोलविदों ने ऐसे लगभग 5,000 ग्रहों की खोज की है, जो दूसरे तारों की परिक्रमा कर रहे हैं। जब भी कोई नया एक्सोप्लैनेट खोजा जाता है, तब उसके बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। सिर्फ इतना ही कि एक एक्सोप्लैनेट मौजूद है और उसकी कुछ खूबियां हैं। बाकी सब एक रहस्‍य बना रहता है। इस इशू को सॉल्‍व करने के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एस्‍ट्रोफ‍िजिसिस्‍ट एक नई कॉन्‍सेप्‍चुअल इमेजिंग तकनीक पर काम कर रहे हैं। यह अबतक इस्‍तेमाल में आ रही सबसे मजबूत इमेजिंग तकनीक की तुलना में 1,000 गुना ज्‍यादा सटीक होगी।  ऐसा लगता है कि रिसर्चर्स ने यह पता लगा लिया है कि हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों को देखने के लिए सौर गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग का इस्‍तेमाल कैसे किया जाए। वैज्ञानिक जिस तकनीक को डेवलप कर रहे हैं, वह मौजूदा तकनीक के मुकाबले ज्‍यादा एडवांस्‍ड हो सकती है।  एक्सोप्लैनेट से रोशनी को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक सूर्य के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए

चंद्रग्रहण से लेकर बुध ग्रह को देखने का मौका, जानें मई में होने वालीं खगोलीय घटनाएं

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आसमान में होने वाली घटनाओं में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों के लिए मई का महीना रोमांचक लग रहा है। इस महीने की शुरुआत और अंत कुछ शानदार खोजों के साथ होने वाला है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने अपनी ‘वॉट्सअप' सीरीज के तौर पर उन घटनाओं की पूरी लिस्‍ट शेयर की है। नासा के मुताबिक, इस महीने का सबसे बड़ा आकर्षण पूर्ण चंद्रग्रहण होने वाला है। यह 15-16 मई को पश्चिमी गोलार्ध में दिखाई देगा। चंद्रग्रहण एक अविश्वसनीय खगोलीय घटना हैं। इस दौरान पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इस नजारे को देखने के लिए किसी दूरबीन की जरूरत नहीं होती। सूर्य ग्रहण की तुलना में चंद्रग्रहण को खुली आंखों से देखना ज्‍यादा सुरक्षित माना जाता है।  नासा के मुताबिक, 2 मई को सूर्यास्त के लगभग 45 मिनट बाद अगर लोग आसमान में पश्चिम की तरफ देखेंगे, तो वहां उन्‍हें बुध ग्रह दिखाई दे सकता है। इससे ठीक 10 डिग्री दूर एक पतला अर्धचंद्राकार चंद्रमा भी दिखाई दे सकता है। सिर्फ यही नहीं, चंद्रमा की ओर से थोड़ा दक्षिण की ओर मुड़ने पर लोगों को एक विशालकाय तारा एल्डेबारन दिखाई दे सकता है, जो बुध ग्रह के समान चमकेगा। नास

मंगल ग्रह पर ‘दूसरी दुनिया’ का मलबा! जानें नासा के Ingenuity हेलीकॉप्‍टर को क्‍या मिला

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मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर  (Perseverance rover) को भेजा है। पिछले साल फरवरी में मंगल ग्रह की सतह पर पर्सवेरेंस रोवर के उतरने के दौरान उसका एक कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) अलग हो गया था। इसकी तस्‍वीर सामने आई है। पिछले हफ्ते अपनी 26वीं उड़ान के दौरान Ingenuity ने हवा में 159 सेकंड के दौरान 1,181 फीट की दूरी तय करते हुए 10 तस्वीरें लीं। इनमें उस कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) या लैंडिंग कैप्सूल के टॉप हाफ हिस्से को भी दिखाया गया है। रोवर के पैराशूट और बैकशेल 1.3 मील की ऊंचाई पर रोवर से अलग हो गए थे। वह रोवर से उत्तर-पश्चिम में एक मील से अधिक दूर लैंड हुए थे।  लगभग 15 फीट व्यास वाला बैकशेल लगभग 78 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन से टकराया और बिखर गया। वहीं, पैराशूट अपनी जगह पर बरकरार लगता है। नासा के इंजीनियरों ने इन तस्‍वीरों को टटोलना शुरू कर दिया है। पर्सवेरेंस के पैराशूट सिस्‍टम पर काम करने वाले इंजीनियर इयान क्‍लार्क कहते हैं कि एक तस्वीर एक हजार शब्‍दों के बराबर है।  बैकशेल के अवशेषों की स्‍टडी करने से नासा को उसके अगल

परसेवेरांस (Perseverance) ने मंगल ग्रह पर सूर्य ग्रहण का चित्र लिया

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First Published: April 25, 2022 | Last Updated:April 25, 2022 नासा के परसेवेरांस (Perseverance) मार्स रोवर ने मंगल के दो चंद्रमाओं में से एक फोबोस पर ग्रहण का वीडियो कैप्चर किया है। मुख्य बिंदु  परसेवेरांस (Perseverance) द्वारा कैप्चर किया गया यह वीडियो उच्चतम-फ्रेम-रेट अवलोकन है और सूर्य ग्रहण का सबसे ज्यादा ज़ूम-इन विडियो है जिसे मंगल ग्रह की सतह से कैप्चर किया गया है। इस मंगल ग्रहण ने वैज्ञानिकों को चंद्रमा की कक्षाओं में सूक्ष्म बदलाव के बारे में एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है। चंद्रमा फोबोस बहुत धीरे-धीरे मंगल की ओर बढ़ रहा है और वे अब से लाखों साल बाद आपस टकराएंगे। परसेवेरांस (Perseverance रोवर के उद्देश्य इस रोवर का एक मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह पर प्राचीन माइक्रोबियल जीवन के संकेतों की तलाश करना है। यह रोवर मंगल की चट्टान, रेजोलिथ और धूल का विश्लेषण और अध्ययन कर रहा है। मार्स 2020 मिशन यह नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम द्वारा निर्मित मार्स रोवर है। इसमें ‘परसेवेरांस’ रोवर और एक ‘इन्जेयूटी’ हेलीकाप्टर ड्रोन शामिल हैं।  मिशन को 30 जुलाई

मंगल ग्रह से ऐसे दिखते हैं पृथ्वी और चंद्रमा, NASA की इस अदभुत तस्वीर में देखें

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अंतरिक्ष से पृथ्वी और चंद्रमा कैसे दिखते हैं, यह तो आपने कई बार देखा होगा, लेकिन क्या आपने मंगल ग्रह से पृथ्वी और चंद्रमा का नाज़ारा देखा है? अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने अकसर खूबसूरत और हैरान करने वाली तस्वीरों को शेयर करता है और कुछ ऐसा ही एजेंसी ने एक बार फिर किया है। NASA ने अपने मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर पर हाई रेजोल्यूशन इमेजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट (HiRISE) कैमरे से ली गई पृथ्वी और चंद्रमा की एक तस्वीर शेयर की है। इसमें आप यह अनुभव कर सकते हैं कि मंगल ग्रह से हमारी पृथ्वी और चंद्रमा कैसे दिखते हैं।  NASA ने इस तस्वीर को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर किया गया है। पोस्ट में नासा ने लिखा (अनुवादित), "मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर ने पृथ्वी और चंद्रमा की इस झलक को कैद किया है। हमारे सात में से प्रत्येक रोबोट अब मंगल ग्रह पर काम कर रहे हैं, वास्तव में एक #NASAEarthling है, जो हमारी आंखों के रूप में कार्य करते हैं क्योंकि वे लाल ग्रह का पता लगाते हैं - हमारे नीले ग्रह के लिए हमारी समझ और प्रशंसा को गहरा करते हैं।"   Mars Reconnaissance Orbiter caught this glimpse of Earth a