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केंद्रीय मंत्रिमंडल जैव ईंधन नीति (Biofuels Policy) में संशोधन किया

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First Published: May 24, 2022 | Last Updated:May 24, 2022 केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 में संशोधन किया है। मुख्य बिंदु  पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग हासिल करने का लक्ष्य पांच साल पहले निर्धारित किया गया है। इस प्रकार, नया लक्ष्य 2030 के बजाय 2025-26 है। जैव ईंधन नीति में अन्य संशोधन हैं: जैव ईंधन के उत्पादन के लिए अधिक फीडस्टॉक की अनुमति। विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ), निर्यातोन्मुखी इकाइयों में ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत जैव ईंधन के उत्पादन की अनुमति। कुछ मामलों में जैव ईंधन के निर्यात की अनुमति। राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) में नए सदस्यों को शामिल करना, जो कि सम्मिश्रण कार्यक्रम का समन्वय करने वाली एजेंसी है। राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 क्या है और इसके फायदे क्या हैं? राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018 बायोएथेनॉल, बायोडीजल और बायो-सीएनजी पर केंद्रित है। इस नीति के प्रमुख भाग इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EPB), दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल का उत्पादन, फीडस्टॉक में R&D आदि हैं। प्रारंभिक लक्ष

कोयला आधारित बिजली सयंत्रों में बायोमास ईंधन का उपयोग किया जायेगा

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First Published: March 24, 2022 | Last Updated:March 24, 2022 बायोमास पेलेट्स के सम्मिश्रण (blending) को विद्युत मंत्रालय द्वारा अनिवार्य कर दिया गया है। 8 अक्टूबर 2021 को जारी “Revised Policy for Biomass Utilization for power generation Through Co-firing in Coal-based Power Plants” के तहत, बायोमास पेलेट्स को मुख्य रूप से कोयले के साथ कृषि अवशेषों से बनाया जायेगा । मुख्य बिंदु देश में ताप विद्युत संयंत्रों (thermal power plants) को बायोमास पेलेट्स के 5% मिश्रण का उपयोग करने का निर्देश दिया गया है जो मुख्य रूप से कोयले के साथ कृषि अवशेषों से बने होते हैं। इस आदेश जारी होने के दो साल से और उसके बाद ब्लेंडिंग का प्रतिशत बढ़ाकर 7% कर दिया जाएगा। बायोमास पेलेट्स (Biomass Pellets) क्या हैं? बायोमास पेलेट एक प्रकार का बायोमास ईंधन है जो बहुत लोकप्रिय है। इन पेलेट्स को ज्यादातर कृषि बायोमास, लकड़ी के कचरे, वानिकी के अवशेषों, वाणिज्यिक घासों आदि से बनाया जाता है। ये पेलेट्स न केवल भंडारण और परिवहन की लागत को बचाने में मदद करते हैं, बल्कि बायोमास पेलेट्स लागत

ईंधन खत्‍म होते ही तारे में हुआ विस्‍फोट, बना शानदार सुपरनोवा, देखें तस्‍वीर

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जब किसी तारे में विस्‍फोट होता है, तो वह बहुत अधिक चमकदार हो जाता है। इसे सुपरनोवा कहते हैं। हम यह आपको इसलिए बता रहे हैं, क्‍योंकि यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरी (ESO) ने कार्टव्हील आकाशगंगा में हुए एक विस्फोट को तस्‍वीरों में कैद किया है। यह विस्‍फोट एक तारे में हुआ। इस सुपरनोवा का नाम SN2021afdx है, जिसे टाइप II सुपरनोवा के तौर पर पहचाना गया है। इस प्रकार का सुपरनोवा तब बनता है, जब एक बड़े तारे का ईंधन यानी फ्यूल खत्म हो जाता है। यह ईंधन तारे के गुरुत्‍वाकर्षण के लिए जरूरी होता है और उसे ढहने से बचाता है। इस सुपरनोवा में हाइड्रोजन भी है। ESO की इमेज में इस चमकदार सुपरनोवा को निचले-बाएंं कोने पर देखा जा सकता है।    दो अंगूठियों के आकार वाली कार्टव्हील आकाशगंगा पृथ्‍वी से 500 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर स्थित है। यह एक स्‍पाइरल आकाशगंगा है, जो कई लाख साल पहले अपनी पड़ोसी एक छोटी आकाशगंगा से मिल गई थी। इसी वजह से इसकी दो-अंगूठी वाली आकृति बन गई थी। इसमें स्थित तारे में हुए विस्‍फोट को तस्‍वीरों में कैद करने के लिए ESO के न्यू टेक्नोलॉजी टेलीस्कोप (NTT) का इस्‍तेमाल किया गया। यह टे‍लीस्‍कोप च

स्विस एयरलाइन्स बनेगी सौर ईंधन का उपयोग करने वाली पहली एयरलाइन

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First Published: March 4, 2022 | Last Updated:March 4, 2022 लुफ्थांसा की सहायक कंपनी स्विस एयर लाइन्स (Swiss Air Lines) सौर ईंधन का उपयोग करने वाली दुनिया की पहली एयरलाइन बनने की योजना बना रही है। मुख्य बिंदु  लुफ्थांसा और स्विस ने बाजार में लॉन्च के लिए निर्माता सिनहेलियन (Synhelion) के साथ रणनीतिक सहयोग शुरू किया है। इस साल जर्मनी के नॉर्थ-राइन वेस्टफेलिया राज्य के जुलिच में औद्योगिक उत्पादन के लिए पहला प्लांट बनाया जायेगा। 2023 में ‘स्विस’ इसका पहला ग्राहक होगा। इस सौदे के तहत, लुफ्थांसा समूह और ‘स्विस’ स्पेन में वाणिज्यिक ईंधन उत्पादन सुविधाओं को विकसित करने में मदद करेंगे जिनकी योजना Synhelion द्वारा बनाई गई है। यह ईंधन कैसे उत्पन्न होता है? स्विट्ज़रलैंड में स्विस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्पिनऑफ, सिन्हेलियन द्वारा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से सतत विमानन ईंधन (SAF) के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। Syngas (synthesis gas) केंद्रित सौर ताप द्वारा निर्मित होती है, जिसे बाद में मिट्टी के तेल में परिवर्तित किया जा सकता है। एयरलाइन के अन

भारत और डेनमार्क हरित ईंधन पर अनुसंधान एवं विकास कार्य करेंगे

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First Published: January 21, 2022 | Last Updated:January 21, 2022 भारत और डेनमार्क ने हाल ही में एक वर्चुअल बैठक में हरित हाइड्रोजन (green hydrogen) सहित हरित ईंधन (green fuels) पर संयुक्त अनुसंधान और विकास शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। मुख्य बिंदु  जनवरी में, एक वर्चुअल बैठक में इस समझौते पर पहले से ही अपनाये गये “Green Strategic Partnership – Action Plan 2020-2025″ के एक हिस्से के रूप में हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के अलावा, भारत-डेनमार्क संयुक्त समिति ने दोनों देशों में राष्ट्रीय रणनीतिक प्राथमिकताओं और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के विकास पर चर्चा की। हरित अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में निवेश के लिए भविष्य की रणनीति के हरित समाधान पर विशेष ध्यान दिया गया। भारत-डेनमार्क संयुक्त समिति की बैठक का एजेंडा इस समिति ने मिशन संचालित अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास पर द्विपक्षीय सहयोग विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने “Green Strategic Partnership – Action Plan 2020-2025” के अनुसार जलवायु और हरित परिवर्तन, पानी, ऊर्जा, अपशिष्ट, भोजन आदि