नई तकनीक पर काम कर रहे साइंटिस्ट, 100 प्रकाश वर्ष दूर स्थित ‘ग्रह’ भी साफ दिखाई देगा
ऐसे ग्रह जो सूर्य के अलावा अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, एक्सोप्लैनेट कहलाते हैं। पहले एक्सोप्लैनेट की खोज साल 1992 में हुई थी। तब से खगोलविदों ने ऐसे लगभग 5,000 ग्रहों की खोज की है, जो दूसरे तारों की परिक्रमा कर रहे हैं। जब भी कोई नया एक्सोप्लैनेट खोजा जाता है, तब उसके बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। सिर्फ इतना ही कि एक एक्सोप्लैनेट मौजूद है और उसकी कुछ खूबियां हैं। बाकी सब एक रहस्य बना रहता है। इस इशू को सॉल्व करने के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोफिजिसिस्ट एक नई कॉन्सेप्चुअल इमेजिंग तकनीक पर काम कर रहे हैं। यह अबतक इस्तेमाल में आ रही सबसे मजबूत इमेजिंग तकनीक की तुलना में 1,000 गुना ज्यादा सटीक होगी। ऐसा लगता है कि रिसर्चर्स ने यह पता लगा लिया है कि हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों को देखने के लिए सौर गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग का इस्तेमाल कैसे किया जाए। वैज्ञानिक जिस तकनीक को डेवलप कर रहे हैं, वह मौजूदा तकनीक के मुकाबले ज्यादा एडवांस्ड हो सकती है। एक्सोप्लैनेट से रोशनी को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक सूर्य के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए ...