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हमारी आकाशगंगा के अंदर एक और गैलेक्‍सी? इस तस्‍वीर ने वैज्ञानिकों को भी हैरान किया

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रहस्‍यों से भरा हमारा ब्रह्मांड हर रोज कुछ नए आयाम पेश करता है। अब खगोलविदों ने हमारी आकाशगंगा के केंद्र में एक ऑब्‍जेक्‍ट को देखा है। यह एक छोटी सर्पिल आकार की आकाशगंगा लगती है। लेकिन ज्‍यादा संभावना इस बात की है कि यह एक तारा है। बताया जाता है कि यह तारा धूल से भरे गैलेक्टिक सेंटर में पृथ्‍वी से लगभग 26,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है। यह तारा सूर्य से लगभग 32 गुना बड़ा है और वहां एक घूमती हुई गैस की विशाल डिस्‍क के अंदर बैठता है।  लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, इस डिस्‍क को ‘प्रोटोस्टेलर डिस्क' के रूप में जाना जाता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रह्मांड में इस तरह की डिस्‍क व्‍यापक रूप से फैली हुई हैं। ये तारों के लिए फ्यूल का काम करती हैं और युवा तारों को लाखों साल में एक बड़ा और चमकीला सूरज बनने में मदद करती हैं। लेकिन खगोलविदों ने ऐसा पहले कभी नहीं देखा कि एक आकार में एक छोटी आकाशगंगा दिखने वाली यह चीज हमारी आकाशगंगा के केंद्र में खतरनाक तरीके से परिक्रमा कर रही हो।  सवाल उठता है कि यह छोटी सर्पाकार आकृति कैसे आई और क्‍या ऐसी और भी हैं। नेचर एस्‍ट्रोनॉमी में प्रक...

इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन में आती है भयंकर बदबू, वजह जानकर नहीं रुकेगी आपकी ‘हंसी’

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इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) को अंतरिक्ष में यात्रियों का घर कहा जाता है। यात्री जब स्‍पेस स्‍टेशन के लिए उड़ान भरते हैं, तो पृथ्‍वी पर लाखों लोगों के लिए यह कौतुहल होता है कि वह वहां किस तरह से रहते होंगे। अंतरिक्ष में यात्रियों के पास तमाम सुविधाएं होती हैं, इसके बावजूद एक समस्‍या उन्‍हें सताती है। स्‍पेस स्‍टेशन में लंबा वक्‍त गुजारने वाले एक यात्री ने इसका खुलासा किया है, जिसके बारे में जानकर आपके चेहरे पर भी मुस्‍कुराहट बिखर जाएगी। अंतरिक्ष यात्री ने बताया है कि इंटरनेशनल स्‍पेस स्टेशन से एक ‘बारबेक्यू' की तरह बदबू आती है, क्योंकि ऑर्बिट में अंतरिक्ष यात्री ज्‍यादा गैस पास करते हैं।  डेली स्‍टार की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 में स्‍पेस स्टेशन पर 186 दिन बिताने वाले 50 वर्षीय टिम पीक ने एक पॉडकास्ट के दौरान 8 साल के बच्चे द्वारा पूछे गए एक सवाल में जवाब में यह हैरान करने वाली बात बताई।   टिम पीक से पूछा गया था कि स्‍पेस स्‍टेशन में हेलमेट पहनने के बाद अंतरिक्ष में डकार आना उन्‍हें कैसा लगता है? टिम ने कहा कि यह एक अच्‍छा सवाल है। उन्‍होंने खुलासा किया कि वास्‍तव में यात्...

इंसान अपने शरीर के इस अंग से भी ले सकते हैं सांस, जानकर रह जाएंगे दंग

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वैज्ञानिकों द्वारा तरह-तरह की स्टडी की जाती है, जिसमें कई ऐसे तथ्य सामने आते हैं, जो आपको चौंका सकते हैं। एक लेटेस्ट स्टडी में भी ऐसी जानकारी निकलकर सामने आई है, जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे, या यूं कहो की आप उसे मानने के लिए शायद राजी भी न हो। वैज्ञानिकों की एक टीम ने पता लगाया है कि गुदा से सांस लेना संभव है। जी हां, आपने सही पढ़ा, इस स्टडी में दावा किया गया है कि यह खोज भविष्य में इंसानों की भी जान बचाने के काम आएगी। Science Direct ने MED में पब्लिश एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि गुदा से सांस लेना भी संभव है। वैज्ञानिकों के एक समूह ने कछुओं के धीमे मेटाबॉलिज्म के आधार पर सूअरों और चूहों पर कई प्रयोग किए। इसमें म्यूकोसल लाइनिंग को पतला करने के लिए जानवरों की आंतों को साफ किया गया, जिससे खून के प्रवाह में बाधा को कम किया जा सके। इसके बाद उन जानवरों को एक ऐसे कमरे में रखा गया जहां ऑक्सीजन नहीं थी। ऐसा माना जाता है कि क्योंकि कछुओं के पास इस तरह की परत होती है, वे अपने गुदा के जरिए सांस लेने में सक्षम होते हैं, जिसकी वजह से वो सर्दियों में जीवित रहने में सक्षम होते हैं। रिपोर्ट...

सूर्य पर दिखा सनस्‍पॉट 24 घंटे में दोगुना बढ़ा, विस्‍फोट हुआ तो पृथ्‍वी तक हो सकता है असर

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सूर्य हमारी आकाशगंगा का सबसे अहम हिस्‍सा है। इसी की वजह से पृथ्‍वी पर जीवन है। ऐसे में सूर्य में होने वाली घटनाओं पर वैज्ञानिकों की हर पल नजर रहती है। एक्‍सपर्ट सूर्य पर दिखाई दे रहे एक ‘विशाल सनस्पॉट' पर कड़ी नज़र रख रहे हैं। इसका आकार पिछले 24 घंटों में दोगुना हो गया है। बताया जाता है कि सोलर सर्फेस पर मौजूद यह अस्थिर पैच सीधे पृथ्वी की ओर मौजूद है। अगर यह फट जाता है तो सूर्य से पृथ्‍वी के रास्‍ते में एक सोलर फ्लेयर भड़क सकता है।  आगे बढ़ें, उससे पहले सोलर फ्लेयर को समझ लेना चाहिए। जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्‍स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है। इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्‍स प्रकाश की गति से अपना सफर तय कोरोनल मास इजेक्शन भी होता है। द सन की रिपोर्ट के अनुसार, इस सोलर फ्लेयर के अभी पृथ्‍वी से टकराने की उम्‍मीद नहीं है, लेकिन अगर सनस्‍पॉट बढ़ता रहा, तो यह अस्थिर तरीके से व्‍यवहार कर सकता है। AR3038 नाम क...

न्‍यूजीलैंड के आसमान में घूमती नीली चीज को लोगों ने समझा एलियन एयरक्राफ्ट, Elon Musk से जुड़ा है सच!

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एलियंस की खोज में व्‍याकुल यह दुनिया कई दफा वैज्ञानिक मिशनों को भी उनसे जोड़ देती है। शायद न्‍यूजीलैंड में भी ऐसा ही कुछ हुआ है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रविवार रात न्‍यूजीलैंड के आकाश में लोगों ने सर्पिल आकार में नीली रोशनी को देखा। ज्‍यादातर ने यही कयास लगाए कि वह एक एलियन एयरक्राफ्ट हो सकता है। घटना रविवार शाम 7.30 बजे के आसपास की और नेल्‍सन शहर की बताई जा रही है। बताया जाता है कि वहां लोगों ने आकाश में एक धुंधली सर्पिल आकृति देखी, जो नीले रंग की थी। कई लोगों ने इससे जुड़ी तस्‍वीरों को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है।   शुरुआती यकीन भले ही एलियन एयरफ्राफ्ट को लेकर है, लेकिन इसे एक अलग तरह की घटना माना जा रहा है। बताया जाता है कि यह अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा लॉन्च किए गए एक रॉकेट की वजह से हुआ है। फाल्‍कन-9 रॉकेट को रविवार की सुबह फ्लोरिडा में केप कैनावेरल से लॉन्‍च किया गया था। यह अपने साथ एक उपग्रह को लेकर गया है, जिसे ऑर्बिट में स्‍थापित किया जाना है।  घटना की तस्‍दीक न्यू प्लायमाउथ एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ने भी अपने फेसबुक पोस्‍ट में की है। बताया है कि आकाश म...

नई खोज : 43 करोड़ साल से लग रही जंगलों में आग, वैज्ञानिकों ने खोज निकाली वह जगह

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जंगलों में लगने वाली आग ने हाल के वर्षों में जानवरों और स्थानीय लोगों के लिए खतरा पैदा किया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जंगलों में आग करोड़ों वर्षों से लगती रही है। वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसी पुरानी जंगल की आग की खोज की है। वेल्स (Wales) और पोलैंड (Poland) में पाए गए 43 करोड़ वर्ष पुराने चारकोल की मदद से इसका पता चला है। यानी 43 करोड़ साल पहले जंगलों में आग लगती थी। इससे पता चलता है कि सिलुरियन (Silurian period) काल के दौरान पृथ्वी पर जीवन कैसा था। उस समय पौधे का जीवन दोबारा जीवन के लिए काफी हद तक पानी पर निर्भर होता था। सूखे इलाकों में पौधों के पनपने की संभावना नहीं होती थी। तब जंगलों में आग ज्‍यादातर बार छोटी वनस्‍पति के जरिए ही लगती थी।  रिसर्चर्स के अनुसार, प्राचीन फंगस ‘प्रोटोटैक्साइट्स' (Prototaxites) पेड़ों के बजाए पर्यावरण पर हावी रहे होंगे। इनके सटीक आकार का तो पता नहीं, पर कहा जाता है कि यह लगभग 30 फीट की ऊंचाई तक रहे होंगे।  रिपोर्ट के अनुसार, जंगल की आग को लंबे समय तक टिके रहने के लिए ईंधन की जरूरत होती होगी। यह काम पौधे करते होंगे। इसके अलावा, आग लगने के लिए ब...

क्‍या चांद पर दोबारा जा सकेगा इंसान? Nasa आर्टेमिस 1 मिशन की रिहर्सल शुरू, देखें लाइव

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) एकबार फ‍िर से इंसान को चंद्रमा पर भेजना चाहती है। उसने इसके लिए आर्टेमिस मिशन तैयार किया है। आर्टेमिस 1 (Artemis 1) इसकी शुरुआत होगा। इस मिशन के लिए नासा अबतक का सबसे पावरफुल रॉकेट तैयार कर चुकी है। इसका नाम स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट है। दो महीने पहले यानी अप्रैल में अंतरिक्ष एजेंसी ने इस रॉकेट को वेट ड्रेस रिहर्सल की प्रक्रिया से गुजारा था। इस प्रक्रिया में रॉकेट को टेस्‍ट किया जाता है। हालांकि तकनीकी खामियां सामने आने की वजह से वेट ड्रेस रिहर्सल पूरी नहीं हो पाई। मिशन को लॉन्‍च करने के लिए इस रॉकेट का वेट ड्रेस रिहर्सल पूरा करना जरूरी है। यही वजह है कि एक बार फ‍िर से नासा इस मिशन के लिए यह रिहर्सल दोहराने जा रही है।     रिपोर्टों के अनुसार, वेट ड्रेस रिहर्सल टेस्ट शुरू करने के लिए फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में मिशन टीम ने लॉन्च कंट्रोल सेंटर में अपने स्टेशनों की जांच की। रिहर्सल की उल्‍टी गिनती शुरू हो गई है। करीब 45 घंटे बाद यानी कल दोपहर 12.10 बजे रॉकेट को परखा जाएगा। ध्‍यान रहे कि वेट ड्रेस रिहर्सल वह प्रक्रिया है, जिसम...

चीन निकला NASA से दस कदम आगे, बना रहा दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे पावरफुल टेलीस्कोप!

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दुनिया की सबसे घनी आबादी वाला देश अब दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप भी लगाने की तैयारी कर चुका है। चीन और अमेरिका का तनाव किसी से छुपा नहीं है लेकिन तकनीकी के मामले में भी चीन अमेरिका से पीछे नहीं रहना चाहता है। चीन अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा से 10 कदम आगे निकलने की तैयारी कर चुका है और सब उसके प्लान के मुताबिक हुआ तो वह दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप जल्द ही स्थापित करने में कामयाब हो जाएगा। चीन ने इसे वेरी लार्ज एरिया गामा रे स्पेस टेलीस्कोप (Very Large Area gamma-ray Space Telescope) का नाम दिया है। इसका संक्षिप्त नाम VLAST रखा गया है। टेलीस्कोप का कुछ हिस्सा बनकर तैयार भी हो चुका है।  South China Morning Post की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे बड़ा गामा-रे स्पेस टेलीस्कोप बनाना शुरू किया है जिसके जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है। नानजिंग पर्पल माउंटेन ऑब्जर्वेटरी, हेफई यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस और लेनझू इंस्टिट्यूट ऑफ मॉडर्न फिजिक्स के शोधकर्ता इस प्रोजेक्ट को मिलकर तैयार कर रहे हैं। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि तकनीकी रूप से यह टेलीस्कोप कितना एडवा...

45 साल तक स्पेस डेटा भेजने वाले Voyager स्पेस क्राफ्ट की पावर हो रही खत्म, NASA ने जताया साथ छूटने का दुख!

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नासा ने 45 साल पहले जो स्पेस क्राफ्ट अंतरिक्ष में छोड़े थे, अब उनका सफर जल्द ही थम जाएगा क्योंकि स्पेस क्राफ्ट की पावर खत्म होने वाली है। इन्हें वोयेजर (Voyager) स्पेस क्राफ्ट के नाम से जाना जाता है जो आज से 44.5 साल पहले अंतरिक्ष में स्थापित किए गए थे। उस वक्त नासा ने जुड़वां स्पेस क्राफ्ट पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए थे। अब दोनों ही स्पेस क्राफ्ट पावर शॉर्टेज के चलते बंद होने वाले हैं।  NASA ने एक रिपोर्ट में बताया है कि उसने 1977 में Voyager स्पेस व्हीकल 1 और व्हीकल 2 को अंतरिक्ष में छोड़ा था। इनमें से व्हीकल 1 अपनी मियाद से बहुत ज्यादा चल चुका है। नासा का कहना है कि जितने साल यह व्हीकल चल पाया है उतना मानव के द्वारा बनाया गया कोई और दूसरा स्पेस व्हीकल नहीं चला है। लेकिन जल्द ही यह व्हीकल इतिहास बन जाएगा। साइंटिफिक अमेरिकन (Scientific American) की रिपोर्ट कहती है कि अब व्हीकल का सफर खत्म होने का समय आ गया है और जल्द ही यह अलविदा कह देगा।  जॉन हॉकिंस यूनिवर्सिटी के राल्फ मैकनट रिपोर्ट में कहते हैं, "इस बात को बीते साढ़े 44 साल हो चुके हैं। व्हीकल की जितनी वारंटी हमने दी ...

SpaceX के जर्मन मिलिट्री सैटेलाइट का लॉन्च इवेंट आज ऐसे देखें लाइव

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SpaceX आज जर्मन रडार सैटेलाइट लॉन्च करने जा रही है जो कि इसके फॉल्कन 9 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। कंपनी का ये इवेंट लाइवस्ट्रीम होने की बात कही गई है। लॉन्च शनिवार को सुबह 10 बजे ET पर निर्धारित है। इसे वेंडनबर्ग स्पेस फोर्स बेस के स्पेस लॉन्च कॉम्प्लेक्स 4 ईस्ट से लॉन्च किया जाएगा जो कि कैलिफॉर्निया में स्थित है।   इवेंट में Falcon 9 रॉकेट SARah-1 नामक सैटेलाइट को लेकर जाएगा और ऑर्बिट में छोड़ आएगा। सैटेलाइट को जर्मन कंपनी Airbus ने जर्मन मिलिट्री के लिए बनाया है। ये रडार सैटेलाइट स्पेस से धरती की निगरानी करेंगे और सैटेलाइट इमेजरी बनाएंगे। लॉन्च को लाइवस्ट्रीम किया जाएगा जैसा कि स्पेसएक्स पहले से करती आई है। लाइवस्ट्रीम में लिफ्ट ऑफ से पहले की तैयारियां भी दिखाई जाएंगी। इनमें फर्स्ट और सेकंड स्टेज की तैयारी भी शामिल होगी। फर्स्ट स्टेज बूस्टर की लैंडिंग भी लाइव दिखाई जाएगी।  आप इस लॉन्च को इंटरनेट के माध्यम से देख सकते हैं। कवरेज लॉन्च के 10 मिनट पहले से शुरू होगी। इसका समय सुबह 10 बजे (ET) रखा गया है। आप इस इवेंट को स्पेसएक्स के यू-ट्यूब चैनल पर देख सकते हैं। इसके लिए ह...

Study finds playing with pre-school friends lowers risk of acquiring mental health issues

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CAMBRIDGE: New research shows that children who learn to play well with others at a young age have better mental health as adults. The findings of the research were published in the journal 'Child Psychiatry and Human Development'. Researchers at the University of Cambridge analysed data from almost 1,700 children, collected when they were aged three and seven. Those with better peer play ability at age three consistently showed fewer signs of poor mental health four years later. They tended to have lower hyperactivity, parents and teachers reported fewer emotional problems, and they were less likely to get into fights or disagreements with other children. Importantly, this connection generally held true even when the researchers focused on subgroups of children who were particularly at risk of mental health problems. It also applied when they considered other risk factors for mental health - such as poverty levels, or cases in which the mother had experienced serious psych...

आर्टिफिशल रेडियोएक्टिविटी की खोजकर्ता Stefania Maracineanu को Google ने किया याद

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Google ने आज Doodle के माध्यम से रोमानिया की भौतिकी विज्ञानी स्टेफानिया मारासिनिएनू को याद किया है। आज Google Doodle उनका 140वां जन्मदिन मना रहा है। रेडियोएक्टिविटी के बारे में हम सब जानते हैं। इसकी खोज में मारासिनिएनू का अहम योगदान रहा है। स्टेफानिया ने 1910 में अपनी फिजिकल और केमिकल साइंस की डिग्री पूरी कर ली थी और उसके बाद उन्होंने बुचारेस्ट में लड़कियों के स्कूल में एक टीचर के रूप में पढ़ाना शुरू किया। इसी दौरान उन्हें रोमानिया के विज्ञान मंत्रालय से स्कोलरशिप भी मिली। उसके बाद स्टेफानिया ने पेरिस में रेडियम इंस्टीच्यूट में स्नातिकी शोध करने का फैसला किया।  रेडियम को मैरी क्यूरी की खोज के रूप में जाना जाता है। उस वक्त रेडियम इंस्टीच्यूट मैरी क्यूरी के निर्देशन में विश्व भर में प्रसिद्ध होता जा रहा था। स्टेफानिया ने भी इसी संस्थान में अपनी रिसर्च करना शुरू किया था। यहां उन्होंने पोलोनियम पर अपनी पीएचडी थिसिस पर काम करना शुरू किया। पोलोनियम की खोज भी मैरी क्यूरी ने ही की थी।  पोलोनियम की हाफ लाइफ पर शोध करते हुए मारासिनिएनू ने पाया कि इसकी हाफ लाइफ उस धातु पर निर्भर करती है जिस ...

Research shows development of hybrid sensor to help diagnose cancer

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MOSCOW: A research team from HSE University, Skoltech , MPGU and MISIS has developed a nanophotonic-microfluidic sensor whose potential applications include detection, monitoring and assessment of treatment success. Today, the device can identify dissolved gases and liquids in low concentrations with high accuracy. The study appeared in Optics Letters . According to the World Health Organisation, in 2020 the global cancer burden was estimated at 19.3 million new cases and 10 million deaths. WHO experts believe that an estimated 30% of new cases could be prevented, and about the same proportion could be cured, with early detection. Today, a 'lab-on-a-chip' is a miniature sensor device capable of performing complex biochemical analysis which is considered one of the most promising approaches to early cancer detection. Russian researchers have developed a new hybrid nanophotonic-microfluidic sensor for highly sensitive analysis of liquids and gases at very low concentrations ...

Elon Musk की SpaceX इस हफ्ते बनाएगी नया रिकॉर्ड, 3 दिन में लॉन्‍च होंगे 3 मिशन

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एलन मस्‍क की स्‍पेस कंपनी ‘स्‍पेसएक्‍स' (SpaceX) इस वीकेंड एक नया रिकॉर्ड बनाने को तैयार है। कंपनी 3 दिन में 3 लॉन्‍च पैड्स से 3 रॉकेट लॉन्‍च करने की हैट्रिक बनाने वाली है। इसकी उल्‍टी गिनती अब शुरू हो गई है। लॉन्चिंग आज यानी शुक्रवार से ही शुरू हो जाएगी। सबसे पहले फ्लोरिडा स्थित नासा (Nasa) के कैनेडी स्‍पेस सेंटर से 53 स्‍टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में स्‍थापित किया जाएगा। इसके बाद शनिवार को कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग स्‍पेस फोर्स बेस से जर्मन सेना के लिए एक रडार सैटेलाइट को लॉन्‍च किया जाएगा। तीसरा मिशन फ्लोरिडा से ही है, जहां केप कैनावेरल स्‍पेस फोर्स स्‍टेशन से एक कमर्शल कम्‍युनिकेशन सैटेलाइट को लॉन्‍च किया जाएगा।     मिशन सफल होता है, तो यह स्‍पेसएक्‍स की बैक टु बैक 3 उड़ानों को दर्शाएगा। हालांकि कंपनी ने इस साल की शुरुआत में 31 जनवरी से 3 फरवरी के बीच 3 मिशन लॉन्‍च किए थे, लेकिन वह बैक टु बैक नहीं थे। कंपनी ताजा लॉन्‍च के जरिए नया रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्‍य लेकर आगे बढ़ रही है।  शुक्रवार का मिशन फाल्‍कन 9 रॉकेट के जरिए पूरा करने की तैयारी है। इसे स्टारलिंक 4-19 क...

Elon Musk पर बोलने की सजा! SpaceX ने अपने कई कर्मचारियों को किया टर्मिनेट

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स्पेसएक्स (SpaceX) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उन कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जिन्‍होंने कंपनी के CEO एलन मस्‍क के व्‍यवहार की अलोचना की थी। साथ ही एक ओपन लेटर लिखने और उसे डिस्ट्रिब्‍यूट करने में मदद की थी। न्‍यू यॉर्क टाइम्‍स ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। हालांकि अभी यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि कितने कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया है। मीडिया रिपोर्टों में दावा है कि स्पेसएक्स के प्रेसिडेंट ग्वेने शॉटवेल ने एक ई-मेल में बताया है कि कंपनी पत्र मामले की जांच करते हुए कई कर्मचारियों को टर्मिनेट कर दिया है। स्‍पेसएक्‍स ने इस मामले में अभी कुछ नहीं कहा है।  रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, स्‍पेसएक्‍स कर्मचारियों के एक ग्रुप ने अधिकारियों को लिखे इंटरनल लेटर में एलन मस्‍क के व्‍यवहार पर बात की थी। साथ ही यह भी कहा था कि स्‍पेसएक्‍स को खुद को एलन मस्‍क के पर्सनल ब्रैंड से अलग कर लेना चाहिए। पत्र में कहा गया था कि स्पेसएक्स को काम करने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए सभी नेतृत्व को समान रूप से जिम्मेदार ठहराएं। साथ ही अस्वीकार्य व्यवहार पर समान रूप से प्रतिक्रिया दें। गौरतलब ह...

भयंकर ठंड और खराब सेंसर के साथ NASA के हेलीकॉप्‍टर ने मंगल ग्रह पर पूरी की 29वीं उड़ान

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का इन्जनूअटी (Ingenuity) हेलीकॉप्टर मंगल ग्रह पर जीवन के निशान ढूंढने का काम कर रहा है। कुछ समय पहले इसने वहां की विषम परिस्थितियों में 25वीं उड़ान भरी थी। नासा का यह ड्रोन नुमा हेलीकॉप्‍टर अब अपनी 29वीं उड़ान पूरी कर चुका है। यह उड़ान ग्रह पर बढ़ती ठंड के बीच पूरी हुई है, जिससे इस हेलीकॉप्‍टर के नेविगेशन सेंसर भी काम नहीं कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, 29वीं उड़ान में इस हेलीकॉप्‍टर ने 66.6 सेकंड में 179 मीटर की दूरी तय की और 5.5 मीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा की। हालांकि इस मिशन से जुड़ी टीम का कहना है कि मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर रीजन में हेलीकॉप्‍टर के लिए स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है। तापमान में गिरावट इसके उपकरणों की मुश्किल बढ़ा रही है।  हेलीकॉप्‍टर के लिए उसके नेव‍िगेशन सेंसर बहुत महत्‍वपूर्ण होते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि Ingenuity के नेविगेशन सेंसर लगभग एक सप्ताह पहले खराब हो गए थे। Ingenuity को इस ग्रह पर सिर्फ 5 फ्लाइट के लिए बनाया गया था, वह भी गर्मी के मौसम में। लेकिन नासा के इस हेलीकॉप्‍टर ने अपनी क्षमता से काफी ज्‍य...

वैज्ञानिकों ने खोज निकाले पृथ्‍वी जैसे दो ग्रह, क्‍या मुमकिन होगी एक और दुनिया?

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पृथ्‍वी से बाहर जीवन की खोज और पृथ्‍वी जैसे ग्रहों की तलाश में वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में नई कामयाबी हाथ लगी है। पृथ्‍वी जैसे दो ग्रहों वाला एक सौर मंडल हमसे काफी करीब लगभग 33 प्रकाश वर्ष दूर खोज लिया गया है। वैसे यह खोज पिछले साल अक्‍टूबर में ही हो गई थी, लेकिन साइंटिस्‍ट इसे पुख्‍ता कर रहे थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) ने इसे देखा था। आखिरकार 16 जून को कैलिफोर्निया में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की एक बैठक में इसकी घोषणा की गई। इस खोज के बाद अहम सवाल यह उठता है कि क्‍या इन ग्रहों में जीवन संभव है? क्‍या पृथ्‍वी की तरह एक और दुनिया आने वाले वक्‍त में मुमकिन हो सकती है?  रिपोर्ट के अनुसार, इस सवाल का जवाब फ‍िलहाल तो ‘नहीं' में उत्‍तर देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे पड़ोसी सौर मंडल में पृथ्वी के आकार वाले कम से कम दो चट्टानी ग्रह भले मौजूद हों, लेकिन इनमें से किसी के भी जीवन की मेजबानी करने की संभावना नहीं है।  इन दो ग्रहों में से एक का नाम HD 260655b बताया गया है। यह पृथ्वी से लगभग 1.2 गुना बड़ा ...

NASA के यान ने मंगल ग्रह पर देखी चमकदार वस्तु, वैज्ञानिकों ने बताई सच्चाई

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NASA के पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह (Mars Planet) पर चमकते धातु जैसी दिखने वाली एक वस्तु की फोटो कैप्चर की है, जिसने साइंटिस्ट व रिसर्चर्स को हैरान कर दिया है। कैप्चर की गई तस्वीर को NASA ने सार्वजनिक रूप से शेयर भी किया, जिसमें चट्टानों के बीच में एक पत्थर जैसा ऑब्जेक्ट है, जो चमक रहा है। हालांकि, जब वैज्ञानिकों ने तस्वीर को बारीकी से जांचा, तो पाया कि ये पर्सीवरेंस रोवर द्वारा फैलाया हुआ कचरा था।  बीते बुधवार को, NASA के Perseverance Mars Rover ट्विटर हैंडल से ट्वीट की एक सीरीज पोस्ट की गई, जिसमें पर्सीवरेंस रोवर द्वारा मंगल ग्रह पर एक चमकने वाली वस्तु की फोटो को शेयर किया गया। इस तस्वीर में मंगल ग्रह पर चट्टानों के बीच एक वस्तु दिखाई दे रही है, जो सिल्वर रंग की चमक फेंक रही है। फोटो के साथ ही पोस्ट में कुछ जानकारियां भी दी गई है।   My team has spotted something unexpected: It's a piece of a thermal blanket that they think may have come from my descent stage, the rocket-powered jet pack that set me down on landing day back in 2021. pic.twitter.com/O4rIaE...

वैज्ञानिकों ने खोजा ‘दानव ब्‍लैकहोल’, हर सेकंड हमारी पृथ्‍वी जितना बढ़ रहा, आकाशगंगा को भी निगलने की है ताकत

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वैज्ञानिकों को एक ऐसे ब्‍लैक होल के बारे में पता चला है, जिसका आकार हर सेकंड हमारी पृथ्‍वी के आकार जितना बढ़ रहा है। इस जानकारी ने साइंटिस्‍टों को हैरान कर दिया है, क्‍योंकि कोई भी ब्‍लैक होल इतनी तेजी से डिवेलप नहीं होता। पता चला है कि इस विशालकाय ब्लैक होल का द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान का 3 अरब गुना है। खास बात यह भी है कि इस आकार के दूसरे ब्‍लैक होल अरबों साल पहले बढ़ना बंद हो गए थे, लेकिन यह अब भी विस्‍तार कर रहा है। बताया जाता है कि यह ब्‍लैक होल हमारी गैलेक्‍सी के हार्ट में मौजूद सैगिटेरियस ए (Sagittarius A) ब्‍लैक होल से भी लगभग 500 गुना बड़ा है। यह पूरी आकाशगंगा को किसी दानव की तरह निगल सकता है।   space.com के अनुसार, रिसर्चर्स का मानना है कि यह ब्लैक होल पिछले 9 अरब साल में सबसे तेजी से बढ़ने वाला ब्लैक होल है। आखिर इसके अब तक विस्‍तार करने की क्‍या वजह हो सकती है। इस बारे में  ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) में रिसर्च स्कूल ऑफ एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के प्रमुख रिसर्चर क्रिस्टोफर ओन्केन ने कहा है कि संभवत: दो बड़ी आकाशगंगाओं के एक-दूसरे से टकराने की वज...

चीनी वैज्ञानिकों से एलियंस ने किया कॉन्‍टैक्‍ट! क्‍या वाकई हम दूसरी दुनिया से मिलने के करीब?

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21वीं सदी, विज्ञान का विकास, हर रोज बदलती तकनीक से रू-ब-रू होती यह दुनिया और यहां के लोग आज भी एलियंस का पता लगाने में जुटे हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक पृथ्‍वी या इसके बाहर एलियंस सभ्‍यता होने का अनुमान लगाते हैं और दिन-रात उनकी खोज में जुटे हैं। इस बीच, दुनियाभर में यह खबर जोरों पर है कि चीन ने एक विदेशी सभ्‍यता के संकेत प्राप्‍त किए हो सकते हैं। इस खबर के केंद्र में है चीन का ‘स्‍काई आई'। यह 500 मीटर एपर्चर का गोलाकार रेडियो टेलीस्कोप ((FAST) है, जो दक्षिण-पश्चिम चीन के गुइझोऊ प्रांत में स्थित है। चीन की सरकार के समर्थन वाले ‘साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेली' की एक रिपोर्ट में कई बातें कही गई हैं। रिपोर्ट में एक्स्ट्रटरेस्ट्रीअल सिव‍िलाइजेशन सर्च टीम के चीफ साइंटिस्‍ट झांग टोनजी का हवाला दिया गया है। इस टीम को बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज की नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा मिलकर बनाया गया है।  झांग टोनजी ने कहा है कि उनकी टीम ने साल 2020 में पहेलीनुमा संकेतों वाले सिग्‍नलों के 2 सेट देखे थे। इन सिग्‍नलों को साल 2019 में...