मंगल ग्रह पर ‘दूसरी दुनिया’ का मलबा! जानें नासा के Ingenuity हेलीकॉप्‍टर को क्‍या मिला

मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन के संकेत तलाशने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पर्सवेरेंस रोवर  (Perseverance rover) को भेजा है। पिछले साल फरवरी में मंगल ग्रह की सतह पर पर्सवेरेंस रोवर के उतरने के दौरान उसका एक कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) अलग हो गया था। इसकी तस्‍वीर सामने आई है। पिछले हफ्ते अपनी 26वीं उड़ान के दौरान Ingenuity ने हवा में 159 सेकंड के दौरान 1,181 फीट की दूरी तय करते हुए 10 तस्वीरें लीं। इनमें उस कॉम्‍पोनेंट (बैकशेल) या लैंडिंग कैप्सूल के टॉप हाफ हिस्से को भी दिखाया गया है। रोवर के पैराशूट और बैकशेल 1.3 मील की ऊंचाई पर रोवर से अलग हो गए थे। वह रोवर से उत्तर-पश्चिम में एक मील से अधिक दूर लैंड हुए थे। 

लगभग 15 फीट व्यास वाला बैकशेल लगभग 78 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जमीन से टकराया और बिखर गया। वहीं, पैराशूट अपनी जगह पर बरकरार लगता है। नासा के इंजीनियरों ने इन तस्‍वीरों को टटोलना शुरू कर दिया है। पर्सवेरेंस के पैराशूट सिस्‍टम पर काम करने वाले इंजीनियर इयान क्‍लार्क कहते हैं कि एक तस्वीर एक हजार शब्‍दों के बराबर है। 

बैकशेल के अवशेषों की स्‍टडी करने से नासा को उसके अगले मंगल मिशन में मदद मिल सकती है। वैसे मंगल के बारे में और जानने के लिए वहां से चट्टानों और मिट्टी के नमूनों को वापस लाया जाना है। इंजीनियर क्‍लार्क कहते हैं कि यह तस्‍वीरें जानने में मदद करती हैं कि मॉडल और विश्लेषण ने कितनी अच्छी तरह काम किया है। 

नासा का पर्सवेरेंस रोवर लगातार अपने काम में लगा हुआ है। 2 अप्रैल को इसने मंगल के चंद्रमा फोबोस की सूर्य के सामने से गुजरने वाली तस्वीरों की एक सीरीज कैप्‍चर की। फोबोस की ऑर्बिट का डिटेल मेजरमेंट मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना के बारे में संकेत देता है।

मंगल ग्रह पर लैंड करने के बाद पर्सवेरेंस ने हमें कई खोजों के बारे में बताता आया है। जेजेरो क्रेटर Jezero Crater के चारों ओर लगभग 10 महीनों तक ड्राइविंग के बाद रिसर्चर्स ने यह समझना शुरू कर दिया है कि यह क्षेत्र संभवतः लंबे समय से निष्क्रिय मार्टियन ज्वालामुखी से बना है। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से ग्रह के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

बीते दिनों एक रिपोर्ट में नासा ने खुलासा किया कि क्रेटर चट्टानों ने अपनी उत्‍पत्‍त‍ि के बाद से कई बार पानी से इंटरेक्‍ट किया है। इन चट्टानों में कुछ ऑर्गनिक मॉलिक्‍यूल्‍स भी मौजूद हैं। नासा की रिसर्च टीम ने पर्सवेरेंस के मंगल ग्रह पर उतरने से पहले ही इन चट्टानों की उत्पत्ति के बारे में सोचा था। 
 

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