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उस ‘खजाने’ तक पहुंचे साइंटिस्‍ट जहां से निकलते हैं ब्‍लैक होल, सुलझेगा हमारी आकाशगंगा का रहस्‍य!

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ब्लैक होल (Black holes) के बारे में माना जाता है कि ये हमारी आकाशगंगा समेत ज्‍यादातर आकाशगंगाओं के केंद्र में मौजूद रहते हैं और उनके कामकाज में भूमिका निभाते हैं। अब रिसर्चर्स के एक ग्रुप ने बौनी (dwarf) आकाशगंगाओं में बड़े पैमाने पर ब्लैक होल छुपे होने का पता लगाया है। आमतौर पर ब्लैक होल का पता तब चलता है, जब वो अपने चारों ओर मौजूद गैस को खाकर बहुत तेजी से बढ़ते हैं और चमकने लगते हैं। रिसर्चर्स का मानना ​​है कि ये ब्लैक होल, आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद विशालकाय ब्लैक होल के बारे में अहम जानकारी दे सकते हैं।  यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (UNC)-चैपल हिल डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी के खगोलविदों द्वारा की गई रिसर्च से हमारी आकाशगंगा के ब्लैक होल पर जानकारी मिलने की उम्‍मीद है।  माना जाता है कि हमारी ‘मिल्‍की वे' का निर्माण कई छोटी बौनी आकाशगंगाओं के विलय से हुआ है। लेकिन क्या सभी बौनी आकाशगंगाओं में एक बड़ा ब्लैक होल होता है, इसके बारे में अभी तक ज्‍यादा जानकारी नहीं थी, इसीलिए कई वैज्ञानिक यह जानने में जुटे हैं कि ब्‍लैक होल और आकाशगंगा एकसाथ कैसे डेवलप होते हैं।  ए

मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा भूकंप खोजने वाला Nasa का इनसाइट लैंडर जल्‍द हो सकता है खत्‍म

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के मंगल मिशन को झटका लगा है। उसका एक स्‍पेसक्राफ्ट बर्बाद होने की ओर है। नासा के इनसाइट (Insight) लैंडर पर जमा हुई धूल की वजह से लैंडर अपनी बिजली खो रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि वह इस स्‍पेसक्राफ्ट के भूकंपमापी का इस्तेमाल तब तक करती रहेगा, जब तक कि जुलाई में इसकी बिजली खत्म नहीं हो जाती। नासा ने बताया है कि फ्लाइट कंट्रोलर सब कुछ बंद करने से पहले इस साल के आखिर तक इनसाइट को मॉनिटर करेंगे।  साल 2018 में मंगल ग्रह पर उतरने के बाद से इनसाइट ने 1,300 से ज्‍यादा भूकंपों का वहां पता लगाया है। हाल ही में इसने मंगल ग्रह पर आए अब तक के सबसे बड़े भूकंप को रिकॉर्ड किया था, जिसकी तीव्रता 5 मापी गई थी। यह नासा का दूसरा मंगल ग्रह लैंडर होगा, जो धूल में खो गया है और जल्‍द बर्बाद हो सकता है।  हालांकि मंगल ग्रह की सतह पर नासा के दो और स्‍पेसक्राफ्ट अभी काम कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं- रोवर्स क्यूरियोसिटी और पर्सिवरेंस। इनसाइट को लेकर इस मिशन की डेप्‍युटी प्रोजेक्‍ट मैनेजर कात्या जमोरा गार्सिया ने कहा है कि शुरू में लैंडर में एक घंटे 40 मिनट के लि