भारत में लगा दुनिया का पहला लिक्विड मिरर टेलीस्कोप, जानें इसके बारे में
देश और दुनिया का पहला लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (liquid mirror telescope) उत्तराखंड में लगाया गया है। नैनीताल में स्थित देवस्थल ऑर्ब्जेवट्री में एक पहाड़ी के ऊपर इस टेलीस्कोप को सेटअप किया गया है। बताया जाता है कि इस टेलीस्कोप के जरिए अंतरिक्ष में सुपरनोवा, गुरुत्वीय लेंस और एस्टरॉयड आदि की जानकारी लेने में मदद मिलेगी। इंडियन लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT) आसमान का सर्वे करने में मदद करेगा। इससे कई आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय सोर्सेज को ऑब्जर्व करना भी आसान हो जाएगा।
टेलीस्कोप को तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों ने पारे का एक पूल बनाया, जो एक रिफ्लेक्टिव लिक्विड है। इससे टेलीस्कोप की सतह घुमावदार हो जाती है। प्रकाश पर फोकस करने के लिए यह आदर्श है। इस पर लगी पतली पारदर्शी फिल्म, पारे को हवा से बचाती है। इसमें एक बड़ा इलेक्ट्रॉनिक कैमरा भी लगा है, जो इमेजेस को रिकॉर्ड करता है।
क्या है लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT)
इसे भारत ने बेल्जियम और कनाडा के खगोलविदों की मदद से बनाया है। यह तरल पारे की एक पतली फिल्म से बना 4 मीटर व्यास का रोटेटिंग मिरर जैसा है, जो प्रकाश को इकट्ठा करने और उस पर फोकस करने का काम करता है। इसे समुद्र तल से 2450 मीटर की ऊंचाई पर देवस्थल ऑब्जर्वेट्री में लगाया गया है। यह ऑब्जर्वेट्री आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (एरीज) में स्थित है, जो भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस का ऑटोनॉमस इंस्टिट्यूट है।Unique Liquid-Mirror Telescope- built by astronomers from India, Belgium and Canada- sees first light in the Indian Himalayas.
ILMT employs a 4-meter-diameter rotating mirror made up of a thin film of liquid mercury to collect & focus light.https://t.co/1kkDWIdqyC pic.twitter.com/GwX9Fetaij
— Science, Technology and Innovation in India (@PrinSciAdvOff) June 3, 2022
टेलीस्कोप को तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों ने पारे का एक पूल बनाया, जो एक रिफ्लेक्टिव लिक्विड है। इससे टेलीस्कोप की सतह घुमावदार हो जाती है। प्रकाश पर फोकस करने के लिए यह आदर्श है। इस पर लगी पतली पारदर्शी फिल्म, पारे को हवा से बचाती है। इसमें एक बड़ा इलेक्ट्रॉनिक कैमरा भी लगा है, जो इमेजेस को रिकॉर्ड करता है।
दुनिया में पहली बार इस्तेमाल हो रहा ऐसा टेलीस्कोप
एरीज के डायरेक्टर प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने कहा कि एस्ट्रॉनॉमिक ऑब्जर्वेशन के लिए दुनिया में पहली बार यह टेलीस्कोप इस्तेमाल हो रहा है। देवस्थल ऑब्जर्वेट्री में अब चार-मीटर क्लास के दो टेलीस्कोप ILMT और देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DOT) सेटअप हो गए हैं। साल 2017 में बेल्जियम, कनाडा, पोलैंड समेत 8 देशों की मदद से एरीज ने 50 करोड़ की मदद से इंटरनैशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप प्रोजेक्ट शुरू किया था। कोरोना के कारण इसके सेटअप में देरी हुई। टेलीस्कोप को बेल्जियम में एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स (एएमओएस) कॉर्पोरेशन और सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था।बताया जाता है कि इस टेलीस्कोप ने 95 हजार प्रकाश वर्ष दूर एनजीसी 4274 आकाश गंगा की साफ तस्वीर ली है। इसके साथ ही इसने मिल्की-वे के तारों को भी आसानी से कैमरे में कैद किया है।
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