मेयर ने बताया, कोर्ट के रोकने के बाद भी दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर क्यों चलते रहे?
राजा इकबाल सिंह ने कहा कि "हम पूरी दिल्ली की जनता से कहना चाहते हैं कि जहां भी कोई अवैध अतिक्रमण है, कृपया उन्हें स्वयं हटा दें. इसके बाद उन लोगों का नंबर है, इसके बाद उनकी बारी है." उन्होंने यह एनडीटीवी को यह तब बताया जब उनसे पूछा गया कि क्या दिल्ली के अन्य हिस्सों में भी अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी?
जहांगीरपुरी में बुलडोजर से एक मस्जिद के बाहर की 20 दुकानें और ढांचे ध्वस्त किए गए. यह वही मस्जिद है जिसके बाहर शनिवार को हिंसा भड़क उठी थी. हिंसा तब हुई थी जब हनुमान जयंती पर एक जुलूस उस इलाके से गुजर रहा था. दो समूहों के बीच अज़ान के लिए में तेज संगीत बजाने से रोकने पर बहस शुरू हो गई थी. और फिर तेज झड़प शुरू हो गई थी.
जिन संरचनाओं को तोड़ा गया उनमें एक स्थायी दुकान थी जिसके मालिक ने कहा कि उसके पास अधिकारियों की अनुमति है. इकबाल सिंह ने दावा किया, "केवल अस्थायी ढांचों को हटाया गया." स्थायी दुकान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दावा किया कि "दस्तावेज सब कुछ साबित कर देंगे."
उन्होंने कहा कि आज उनकी टीम ने सार्वजनिक भूमि पर कबाड़ डीलरों द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटा दिया. उन्होंने कहा, "सड़कें साफ हो जाएंगी और लोग खुश हैं. यह बिना किसी एजेंडा के नियमित काम है. लोग बहुत खुश हैं, लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं."
सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई और कल की सुनवाई तक सभी तोड़फोड़ पर रोक लगा दी.
जिन याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से विध्वंस को रोकने का आग्रह किया, उन्होंने कहा कि एक समुदाय को निशाना बनाकर तोड़फोड़ अभियान चलाए जा रहे हैं और सांप्रदायिक झड़पें हो रही हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में देखा जाने वाला एक पैटर्न परेशान करने वाला है. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि दिल्ली नगर निगम ने तोड़फोड़ के अभियान से पहले किसी को सतर्क नहीं किया था.
इकबाल सिंह ने दावा किया कि शनिवार की हिंसा से अतिक्रमण विरोधी अभियान का कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, उन्होंने इस सवाल से परहेज किया कि क्या शनिवार की हिंसा से पहले या बाद में नगर निकाय ने पुलिस को कार्रवाई के बारे में सूचित किया था.
सिंह ने दावा किया, "मेरे पास कोई सूचना नहीं है. नियमित प्रक्रिया के तहत पुलिस को सूचित किया गया होगा."
उन्होंने आरोपों पर सीधी प्रतिक्रिया देने से भी परहेज किया कि अवैध संरचनाओं को हटाने के अभियान से पहले कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया था. उन्होंने कहा, "एमसीडी का काम अतिक्रमण हटाना है. एमसीडी एक सरकारी कार्यालय है. हमारे लिए सभी एक समान हैं."
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने अगली सुनवाई तक यथास्थिति का आदेश दिया, लेकिन यह अभियान दो घंटे तक जारी रहा, जब तक कि अदालत ने दूसरी बार हस्तक्षेप नहीं किया. मुख्य न्यायाधीश रमना ने अदालत के कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि आदेश तुरंत नागरिक अधिकारियों तक पहुंचे.
मेयर ने अदालत की किसी भी अवमानना से इनकार करते हुए कहा, "ऐसा कुछ नहीं था. जैसे ही हमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिला, हम रुक गए."
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