27 साल पहले आसमान में दिखे ‘UFO’ का सच सामने आया, वैज्ञानिकों ने किया यह दावा

यूएफओ (UFO) जिन्‍हें ‘अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्‍जेक्‍ट' भी कहा जाता है, वर्षों से दुनिया के लिए रहस्‍य बने हुए हैं। ऐसी कई घटनाएं हैं, जिनमें लोगों ने यह दावा किया है कि उन्‍होंने UFO को देखा। ऐसी ही एक घटना साल 1995 की है। अमेरिका की ‘वेस्ट फ्लाइट 564', टेक्‍सास से लास वेगास जा रही थी। इसके दो पायलटों ने दावा किया था कि सफर के दौरान उनका सामना एक UFO से हुआ था। अब इतने साल बाद वैज्ञानिकों ने इस वाकये से पर्दा हटाया है। एस्‍ट्रोनॉमर्स ने कहा है कि वह ऑब्‍जेक्‍ट कोई UFO नहीं, बल्कि खगोलीय पिंड रहा होगा।  

उस वाकये की बात करें, तो फ्लाइट में यात्रियों और केबिन क्रू के साथ कैप्टन यूजीन टॉलेफसन और उनके को-पायलट जॉन वालर मौजूद थे। उनके फ्लाइट अटेंडेंट ने आकाश में कुछ अजीब देखा। मिरर यूके की खबर के मुताबिक, विमान और UFO के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी, लेकिन चालक दल ने आसमान में एक अजीब रोशनी देखने की जानकारी दी। जॉन वालर ने इसके बारे में अधिक जानकारी चाही और न्यू मैक्सिको में एयर ट्रैफिक कंट्रोल को बताया। 

वालर ने ATC से कहा कि हमें कुछ स्ट्रोब दिखे हैं, क्या आप हमें बता सकते हैं कि यह क्या है? एटीसी के और जानकारी मांगने पर वालर ने बताया कि एक स्ट्रोब है, जो चमक रहा है और उसकी लंबाई बहुत ज्‍यादा है। ATC को रडार सिस्‍टम पर किसी ऑब्‍जेक्‍ट के सबूत नहीं मिले। एक बार के लिए ATC को लगा कि कोई सैन्‍य विमान हो सकता है। ATC ने एयरफोर्स बेस पर कॉन्‍टैक्‍ट किया। वहां से जवाब मिला कि आज रात कोई सैन्‍यू मूवमेंट आसमान में नहीं है। इसके बाद से यह घटना एक रहस्‍य बनी हुई थी। 

अब स्मिथसोनियन चैनल की डॉक्‍युमेंट्री 'यूएफओ डिक्लासिफाइड: पायलट आईविटनेस' में खगोलविदों ने यह जानने की कोशिश की है कि आखिर पायलटों ने क्‍या देखा था। डॉक्‍युमेंट्री में SETI इंस्टिट्यूट के प्रमुख खगोलशास्त्री सेठ शोस्तक ने कहा कि इस तरह की चीजें हमें कई बार मूर्ख बना देती हैं। डॉक्‍युमेंट्री में यह समझाया गया कि वह ऑब्‍जेक्‍ट 'खगोलीय पिंड' हो सकता है। इसमें समझाया गया है कि 30 हजार फीट की ऊंचाई से एक ग्रह या तारा, UFO का भ्रम पैदा कर सकता है। 

इस बारे में टोरंटो में यॉर्क यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर डॉ माइकल डी रॉबर्टिस ने कहा कि आकाश में ऐसी चीजें देखने के मामले में पायलटों का रिकॉर्ड रहा है। उन्‍होंने कहा कि पायलटों की ट्रेनिंग में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के कोर्स नहीं हैं, जोकि कुछ हद तक जरूरी हैं। उन्‍होंने कहा कि हमारा आकाश रहस्‍यों से भरा है, लेकिन ये सभी यूएफओ नहीं हैं।

शिकागो में सेंटर फॉर यूएफओ स्टडीज के साइंटिफ‍िक डायरेक्‍टर मार्क रोडेघियर ने कहा कि रियलटाइम में यूएफओ की घटना का पता लगाने, उसे ट्रैक करने के लिए हमने एक नए फेज में प्रवेश किया है। टेक्‍नॉलजी बेहतर हुई है। सॉफ्टवेयर टूल्‍स भी अपडेट हुए हैं। इसने UFO में रुचि रखने वाले लोगों को आकर्षित किया है। 
 

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